जनपद फतेहपुर
इस जनपद में सांस्कृतिक, राजनीतिक एवं आर्थिक विकास पर गंगा एवं यमुना जैसी पावन नदियों का विशेष प्रभाव पड़ा है। हर्ष का विषय है इन पावन सरिताओं से जनपद का क्षेत्रफल तो सिंचित होता ही है, साथ ही साथ सौन्दर्य पर भी प्रभाव पड़ता है। इन स्थानों पर प्राचीन संस्कृति की थोड़ी सी झलक अब भी मिल जाती है। विशेष रूप से दो प्रमुख नदियां गंगा तथा यमुना प्रवाहित होती हैं । नदियों का प्रवाह पश्चिम से पूरब की ओर गंगा का प्रवाह असनी तथा भिटोरा से दक्षिण से उत्तर की ओर होने से इन स्थानों पर गंगा का विशेष महत्व है । भृगु मुनि का आश्रम भिटोरा राजा हर्षवर्धन का नगर हस्वा, भक्त प्रवर मोरध्वज की राजधानी मोरांव तथा अश्वत्थामा का नगर असोथर इसके प्रमाण हैं। अमौली के पास सरहन बुुजुर्ग का महेश्वर मन्दिर बहिरामपुर का महिषासुर मर्दनी महनाखुर्द का सूर्य मन्दिर उस संस्कृति धरोहर का स्मरण कराते हैं। कन्नौज के राजा कहिपाल का एक शिलालेख 994 संवत् 1917 ई. का असनी ग्राम में मिला है। यमुना तट पर लेह ग्राम में गुप्त कालीन श्यामवर्ण विष्णूमूर्ति है। जिसे ठोंकने पर धातु की सी आवाज होती है। शाहजहाॅ के शासन काल के अन्तिम वर्ष में शाहजहाँ और औरंगजेब के भी बीच भयानक युद्व 1659 ई. में इसी जनपद में खजुआ और जहानाबाद के बीच में हुआ । उस संस्कृति के अवशेष आज भी उक्त स्थानों के आस-पास मिलते है। प्रमुख मेलों में जहाॅ हुसैनगंज में शीतला देवी का चैत में, बुद्वरामऊ में महादेव जी का मेला शिवरात्रि में, कार्तिक में रामलीला का मेला किशुनपुर में, क्वार में रामलीला का मेला जहानाबाद में, अषाढ़ व अगहन में पशुओं का मेला शिवराजपुर में, गंगा के तट पर कार्तिक स्नान का मेला लगता है। खजुहा के पास इमली वृक्ष पर अंग्रेजों द्वारा 52 स्वतन्त्रता संग्राम सेनानियों को लटकाकर फांसी दी गयी थी। यह स्थान 52 इमली के नाम से प्रसिद्व है जिसके विकास का कार्य किया जा रहा है।